ड्राइंग और नृत्य सहित सभी प्रकार की कलाएं, एक बच्चे के धैर्य और एकाग्रता जैसे आवश्यक तत्वों को उभारने में मदद करते हैं, जो कि उसके संज्ञानात्मक विकास के लिए आवश्यक हैं। कला और शिल्प एक स्कूल के लोकाचार का एक आंतरिक तत्व होना चाहिए, कई विषयों और विचारों को कलात्मक अभिव्यक्ति के माध्यम से सरलता से सिखाया जा सकता है | केवीएस में, बच्चे विभिन्न कौशल सीखते हैं जैसे कि मिट्टी के बर्तन बनाना, वुडक्राफ्ट, सिलाई और क्राफ्टिंग। पी एमश्री पहल के रूप में, छात्रों को आसपास के क्षेत्र की कला और संस्कृति को जानने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं|
सांस्कृतिक ज्ञान को बढ़ाने के लिए, ‘एसपीआईसी मैक’ और ‘रूट 2 रूट्स के प्रशिक्षण सत्रों जैसी पहल का आयोजन किया गया है। इन गतिविधियों का उद्देश्य शास्त्रीय भारतीय कला, संगीत और नृत्य रूपों के साथ छात्रों को परिचित करना है ताकि वे समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की सराहना और सम्मान कर सकें।
विभिन्न अवसरों पर नारा लेखन, विचार लेखन, चित्रकला प्रतियोगिता एवं बाला कार्यक्रम के अंतर्कगत कक्षा/प्रयोगशालाओं की दीवार, खेल के मैदान की सीमा की दीवारों की पेंटिंग पर वाराणसी क्षेत्र में जोर दिया जा रहा है।